ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
शस्यशामलां मातरम् ।
शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं
सुखदां वरदां मातरम् ।। १ ।।
वन्दे मातरम् ।
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तार दे माँ ।
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तार दे माँ ।
तू स्वर की देवी, ये संगीत तुझसे,
हर शब्द तेरा है, हर गीत तुझसे,
हम हैं अकेले, हम हैं अधूरे,
तेरी शरण मे, हमें प्यार दे माँ ।
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तार दे माँ ।
मुनियों ने समझी, गुणियों ने जानी,
वेदों की भाषा, पुराणों की बानी,
हम भी तो समझें, हम भी तो जानें,
विद्या का हमको, अधिकार दे माँ ।
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तार दे माँ ।
तु श्वेतवर्णी, कमल पे बिराजे,
हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे,
मन से हमारे, मिटा दे अंधेरे,
हमको उजालों का, संसार दे माँ ।
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तार दे माँ ।
जन गण मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
पंजाब सिंध गुजरात मराठा
द्रविड़ उत्कल बंग
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे
तव शुभ आशिष मांगे
गाहे तव जय गाथा
जन गण मंगल दायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
जय हे जय हे जय हे
जय जय जय जय हे
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